ग्राम भामल में उल्टी दस्त का भयंकर प्रकोप 1 बुजुर्ग की मौत...


ग्राम भामल में उल्टी दस्त का भयंकर प्रकोप 1 बुजुर्ग की मौत 


थांदला से इमरान खान की रिपोर्ट 


मखमली जलजीवन की प्रदेशव्यापी सफलता की चादर में यह घटना टाट के पेबंद की तरह है खबर है की आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले की थांदला तहसील के ग्राम भामल में लगभग 200 लोग पेटदर्द और  उल्टी दस्त के शिकार होकर अपना इलाज करवा रहे है यह सब इसलिए हुआ  की इन लोगो ने गाँव के एक कुए का पानी पिया 

करीब 5000 जनसँख्या वाले इस गाँव में ग्राम पंचायत जलजीवन मिशन के तहत पेयजल की आपूर्ति एक खुले कुए से की जाती है 21 जून की रात से गाँव में उल्टी दस्त का प्रकोप शुरू हुआ जो 24 जून की सुबह तक थमा नहीं था स्थिति इतनी भयावह थी की प्रशासन   को गाँव के ही शाला भवन के आहते में अस्थाई OPD निर्माण कर पीड़ितों का इलाज करना पड़ा 

गाँव में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा के अभाव की वजह से कई पीड़ितों को पेटलावद ,दाहोद इलाज के लिए भेजा गया स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की एक गर्भवती महिला को संक्रमण के बाद दाहोद भेजा गया जहा बमुश्किल उसकी जान बचाई जा सकी ग्रामीणों का आरोप है की प्रशासन घटना के  पीछे फ़ूड पोइज़निंग बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है 

पीड़ित ग्रामीणों में गुस्सा है एक तो मुलभुत सुविधाओं का आभाव ऊपर से महामारी का प्रकोप ऐसे में उनके  सब्र का बांध टूट रहा है उनका कहना है की तहसीलदार पीड़ितों को समुचित उपचार उपलब्ध करवाने की बजाये उन्हें अपमानित कर रहे है इस महामारी के चलते एक बुजुर्ग को खो चुके ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्थाओ से पूरी तरह असंतुष्ट  है 

हालाँकि प्रशासन पेयजल के नमूनों की जांच करवाने  के बाद दावा कर रहा  है की इस बीमारी के पीछे पानी का दूषित होना तो कतई नहीं हो सकता जबकि ग्रामीण पूछ रहे  है की यदी यह सब दूषित पेयजल से नहीं हो रहा तो इसकी असली वजह क्या है यह बताया जाये 

 ग्रामीण प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा पूर्व व्यवहार से भी आहत है उपचार की अच्छी और तत्काल व्यवस्था करने की बजाये स्थानीय अधिकारी कर्मचारी घटना के मूल कारणों पर मिटटी डाल कर अपनी चमड़ी बचाने में लगे हुए है



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