थांदला से इमरान खान की रिपोर्ट
थांदला बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत महिला बाल विकास विभाग थांदला द्वारा आज जनप्रतिनिधिगण का उन्मुखीकरण कार्यक़म का आयोजन किया गया कार्यक़म में मुख्य अतिथि बतौर नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर ने महिला कार्यकर्ता, सहायिकाओं को संबोधित करते हुवे कहा कि
बेटियां हर एक क्षेत्र में बराबर की सहभागिता निभा रही है लेकिन फिर भी समाज के कुछ क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण उन्हें वे अधिकार नही मिल पाते जो उन्हें मिलना चाहिये उनके साथ भेद भाव किया जाता है समाज के कुछ क्षेत्रों में होने वाले इस भेद भाव को दूर करने के लिये सरकार द्वारा समय, समय पर इसके लिये जागरूकता अभियान चलाया जाता है इसी में से एक अभियान है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आज हम सभी मिल कर ये शपथ लेते है कि सम्पूर्ण जिले में एक भी बेटी ना तो निरक्षर होगी एवम बेटियों को बचाना हमारा प्रथम कर्तव्य होगा बेटी है तो कल है।
कार्यक़म में नेता प्रतिपक्ष एवम पार्षद लक्ष्मण राठौर, आनंद चौहान,रोहित बैरागी, विकास रावत, पीटर बबेरिया, उपस्थित थे।
स्मरण रहे कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को किया था इस योजना का जिम्मा महिला बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ मंत्रालय, कल्याण मंत्रालय एवम मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस उद्देश्य के साथ कि बेटियों के लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना व शिक्षा को सुनिश्चित कराना एवम समाज मे भागीदारी सुनिश्चित कराना आदि किंतु विडम्बना देखये की इन 07 वर्षो में भी करोड़ो खर्च करने के बाद भी बेटियो की स्थिति आज भी वैसी है जो पहले थी इस योजना को ले कर महिला सशक्तिकरण समिति की एक नवीनतम रिपोर्ट आई है इस रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार द्वारा जारी किये गये पैसों का सही उपयोग नही हुवा समिति ने इसे ले कर निराशा जाहिर की और कहा कि योजना के तहत जारी फंड का 80 प्रतिशत पैसा केवल इसके विज्ञापन में खर्च किया गया है।
एक रिपोर्ट में यह भी बताया कि योजना के तहत शुरू से ले कर 2019- 20 तक कुल 848 करोड़ मंजूर हुवे थे वही 2020-21 वित्त वर्ष में इस योजना के लिये राज्यों के लिये केंद्र सरकार द्वारा 622.48 करोड़ जारी किये गये थे।फिर भी ना तो बेटियां बच रही है ना ही बेटियां पड़ रही है तो फिर ये महा फंड जा कहा रहा है ये एक विचारणीय प्रश्न है।
खेर जो भी हो किंतु एक बात तो सत्य है कि जिले में महिला बाल विकास विभाग एक मात्र ऐसा विभाग है जहाँ महिलाओं, बेटियो का तो विकास नही होता परंतु विभाग में बैठे अधिकारी अपना स्वयं का विकास जरूर कर लेते है इस का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि नगर में इस विभाग द्वारा जब भी कोई आयोजन किया जाता है मीडिया से पूर्णरूपेण दूरियां बना कर ही किया जाता है।
आज भी बेटियों के पढ़ाने, बचाने के संबंध में जो आयोजन हुवा उक्त आयोजन में विभागीय अधिकारियो, कर्मचारी द्वारा मात्र कागजो पर ही हजारों बेटियो को साक्षर, बना दिया होगा ऐसा कर ये क्या दर्शना चाहेगे?
क्या जिलाधीश महोदय इस विभाग से सवाल,जवाब तलब करने की जहमत करेंगे।