*दुकानों को लेकर परिषद ने खेला आखरी दाव कार्यकाल की आखरी बेठक 29 अगस्त*को* *दुकानदारों की आखरी आस है ये बेठक, फसे दो पाटन के बीच*पार्षद भी पशोपेश में* *अपने ही बुने जाल में फस गई मोटाभाई एन्ड कम्पनी की परिषद* *दुकानदार को दुकान दे तो वरिष्ठ अधिकारीयो की अवहेलना ओर परिषद को आर्थिक नुकसान ,दे तो जनता का विरोध और कोर्ट की माथापच्ची अलग*

 






पेटलावद । नगर के श्रद्गांजली चौक वार्ड नं 01 पर पुरानी दुकानों को तोड़कर नवीन बनाई गई दुकानों के प्रस्ताव को निरस्त होने के आदेश के बाद जहां पूरे नंगर  में चर्चाओं का दौर गर्म है और पूरे नगर की निगाहें परिषद के अगले कदम पर टिकी हुई थी वही इस मामले नप ने अपना अंतिम दाव खेलते हुए इस सम्बन्ध में 29 अगस्त सोमवार को बेठक का आयोजन रख लिया है।

  बेठक के मुख्य एजेंडे...

इस सम्बन्द्ग में नगर परिषद ओर से समस्त पार्षदो को बेठक के एजेंडे का सूचना पत्र जारी किया है जिसमे मुख्य रूप से 04 एजेंडे   पेंडिंग नामांतरण आवेदनों पर विचार, सरकार की पेंशन योजनाओं के आवेदन पर विचार, दुकान नामान्तरण पर विचार और  *कलेक्टर के दुकानों सम्बन्धी दिये गए आदेश के सम्बंध में विचार*  सहित कुल 04 मुद्ददो पर सोमवार को परिषद हाल में बेठक रखी गयी है।

आयुक्त ओर डूडा ने पहुचाया था पूरा मामला कलेक्टर...

उल्लेखनीय है कि गुरुवार शाम को नगरपरिषद के सीएमओ राजकुमार ठाकुर ने नगर के पत्रकारों को  जानकारी देते हुये बताया  था कि  नगरीय प्रशाशन विभाग   के संभागीय आयुक्त ओर डूडा कार्यालय झाबुआ ने पूरा मामला  कलेक्टर झाबुआ  को भेजा था और कलेक्टर झाबुआ  ने  एक आदेश जारी करते हुए  परिषद के डेढ़ वर्ष पुराने ठहराव प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया है और दुकानों को रोस्टर ओर नियम अनुसार नीलाम करने और  नए निर्णय  ओर प्रस्ताव के लिये नगर परिषद को निर्देशित किया है। जिसमे पूर्व में 01 दुकान  जो कि 55 लाख में निलाम हुई है मात्र उसको छोड़कर शेष 08 दुकानों के लिये फिर से नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जाएगी ।

परिषद ने बनाया था प्रस्ताव...

उलेखनीय है कि इसी प्रस्ताव के तहत डेढ़ वर्ष पूर्व  नगर परिषद ने 09 दुकानदारो के पक्ष में पारित करते हुये निर्णय लिया था कि श्रद्धाजलि  चोक की पुरानी जीर्ण शीर्ण दुकानों को तोड़कर नवीन दुकानें बनाई जाएगी और ये दुकानें पुराने दुकानदारों को लागत मूल्य जमा करवाते हुए  दी जावेगी । अर्थात पुराने दुकानदार ही इन दुकानों के लिये अधिकार रखेंगे  ।

प्रस्ताव पर भरोसा कर खाली कर दी दुकाने...

ओर इसी प्रस्ताव पर भरोसा करते हुये  08 दुकांनदारो ने अपनी दुकानें खाली की थी और लगभग सभी दुकानदारों ने 1 से 2 लाख रुपये एडवांस भर  भी दिये थे और पिछले डेढ़ वर्ष से दुकानदार बेरोजगार घूम रहे है।

दुकानदार को मिले या नीलाम हो....

वही इस बेठक कि सूचना के बाद नगर में तरह तरह कि चर्चाओं का दौर फिर चल पड़ा है जिसमें कुछ लोग कमिश्नर ओर कलेक्टर के आदेश के बाद नप के इस बारे में   निर्णय  लेने के अधिकारों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे है तो कुछ शिकायतकर्ता इस सम्बंध में वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशों का उल्लंघन ओर अवमानना मान रहे है ।


परिषद को अपने करार को पूरा करना चाहिए....


  इस सम्बंध में.......

नगर के गणमान्य नागरिक मिलिंद मेहता...

 का कहना है कि दुकानदारों ने एक अनुबंध के तहत दुकानें खाली की है और ये निर्माण संभव हो पाया है।उनको पूर्व अनुबंध के तहत दुकानें दी जाना चाहिए।एक दुकान की नीलामी से 55 लाख की उगाही हो जाने से नगर परिषद की नियत खराब नही होनी चाहिए।उन्हें ये नही भूलना चाहिए कि ये 55 लाख भी आपको उन दुकानदारों की वजह से ही मिले है जिन्होंने दुकानें खाली करके आपको एक अतिरिक्त दुकान बनाने का अवसर दिया है।


*हमारा क्या दोष, परिषद पर है भरोसा*


इस सम्बंध में *दुकानदार संतोष मारू जेन* ने बताया कि हमने शाशन ओर परिषद के हर आदेश को माना इन दुकानों से हमारे परिवार की रोजी रोटी चलती है पिछले डेढ़ साल से बेरोजगार है दुकान नही मिली तो   हमारे परिवार पर आर्थिक संकट आ जायेगा । हमको परिषद पर पूरा भरोसा है ।


*में दुकानदारो  के साथ*


इस सम्बंध में *नप के अध्यक्ष मनोहरलाल भटेवरा*

  ने बताया की  हम शुरू से दुकानदारों को उनका हक  दिलाने के पक्ष में  है।   निर्माण शुरू करने से पहले ही लिखित में प्रसताव बनाकर दे चुके थे । लागत मूल्य भी बड़ा  दी थीं । बेठक में भी में  दुकानदारो की पूरी मदद करूंगा।



*कोर्ट तक जाऊंगा*

 

इस सम्बंध में

*मुख्य शिकायतकर्ता चंदन एस भण्डारी* ने बताया कि कलेक्टर ओर डूडा ओर आयुक्त के निर्देशों का पालन कर बेरोजगारों को रोस्टर नियम अनुसार दुकान नीलामी की जानी चाहिए परिषद की आय में व्रद्धि होगी। यदि बेठक में  वरिष्ठ अधिकारीयो  के आदेशों का उल्लंघन हुआ तो पूरा मामला कोर्ट तक ले जाऊंगा।


*क्या बोलते है नियम*

इस सम्बंध में विधि विशेषज्ञों की माने तो 


(1) दुकानदार नप की दुकानों के किराएदार है और मप्र भाड़ा नियंत्रण अधिनियम  प्रावधानों के तहत जिस दिन  दुकानदारों ने दुकान खाली करी उसी दिन से इनका अनुबंध समाप्त हो गया अब नप नए रूप में दुकानों के निर्णय लेने के लिये स्वत्रंत है।


(2) वरिष्ठ अधिकारी के आदेश के विरुद्ध या तो परिषद अथवा दुकानदार कोर्ट जाकर इस प्रस्ताव को निरस्त करने के आदेशों को चुनोती दे । ओर नीलामी पर स्टे ले।


(3) कलेक्टर परिषद का विहित प्राधिकारी होता है परिषद ओर सीएमओ आदेशो को मानने के लिये बाध्य है। 


*गेंद परिषद के पाले में है आखरी बेठक*


अब पूरे मामले में गेंद फिलहाल परिषद के पाले में है। लेकिन यहां बड़ा पेच फस गया है क्योंकि इस  परिषद  का  05 साल का  कार्यकाल  आगामी 09 सितम्बर को पूरा हो रहा है ओर 29 अगस्त को होने वाली बेठक इस परिषद की सम्भवतया आखरी बेठक है और इस आखरी बेठक में लिये गए निर्णयों  के परिणाम परिषद के वर्तमान सदस्यों को लंबे समय तक भुगतने है ।क्योंकि यदि दुकानों की  नीलामी करते है तो दुकानदार नाराज होकर कोर्ट जाएंगे और दुकानदारों को दुकान  देते है तो  शाशन के आदेश की अवहेलना ओर परिषद को आर्थिक नुकसान के  बिंदुओं  पर शिकायतकर्ता नाराज होकर  कोर्ट जाएंगे ।  अर्थात  कुल मिलाकर माननीयों  की मुश्किलें बढ़ गयी है।

अपने ही बुने जाल में फस गयी परिषद

ओर गत दिनों हुए  वार्ड आरक्षण के बाद जल्द ही फिर से चुनाव होने है और वर्तमान मेसे कई पार्षद फिर से जनता के दरबार में हाजरी लगाने और चुनाव लड़ने का मन बना रहे है ।ऐसे में 29 अगस्त की बैठक से कई समीकरण बनते बिगड़ते नजर आ रहे है और 05 सालो भरस्टाचार के समुद्र में गोते लगा रही मोटाभाई एन्ड कम्पनी की टीम दुकानों के मामले में अपने ही बुने जाल में फस गयी है।


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