News@ इमरान खान
पेटलावद जनपद पंचायत की सबसे बड़ी पंचायत है जहा ग्राम पंचायत समिति के सदस्यों के भरोसे पे चल रही है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की इस ग्राम पंचायत मे क्या चल रहा है जहा पर दो से तिन सदस्य हि मिलकर पुरी पंचायत पर अपना अधिकार बना कर बैठे है उसमे दूसरे किसी की भी सदस्यो की जरूरत नही पड़ती शिवाय इनके। इनका मानना है की हमारे आगे सब ननमस्तक है चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यो नही हो हम से आगे नही है ओर हम जो कह देंगे वो इन अधिकारीयों को करना हि पड़ेगा। ऐसा इस लिए है क्योंकि इस ग्राम पंचायत के उपसरपंच पति भी ये समिति के सदस्य ये ओर भाजपा से मंडल अध्यक्ष भी बने हुए है तो किसकी हिम्मत की इनकी बात का इंकार करे। अगर कोई बोले भी तो इनकी गुंडागर्दी के चलते कोई बोलने की नही करता ओर बोले भी तो उसको टारगेट कर के उसके साथ मारकुट कर के उस मामले को यह कह कर दबा दिया जाता है की एक हि गाव के तो हो वापस आज नही तो कल काम पड़ेगा ओर ये भी इतने बड़े है निठल्ले है की उनके सामने जी साब जी साब करके पेरो मे तक गीर जाते है। ओर अगली बार नही होगा बोल कर उसको दबा दिया जाता है यहा तक की अगर वो व्यक्ति गलती से पुलिस प्रशासन के पास भी चला जाये तो पुलिस वाले भी इनको सम्पर्क करके जानकारी दे देते है की आपकी रिपोर्ट लिखाने आये है हेरतंगेज की बात तो यह हे की उनके आने के पहले हि क्रास रिपोर्ट दर्ज करके उल्टा उसके ऊपर हि कार्यवाही सुरु कर दी जाति है।आपको ओर यह जानकार भी समज आजायेगा की एक तरफा दबंगाई ओर दूसरी ओर पार्टी का सपोर्ट पाकर इतने मगरूर हो चुके है की किसी को भी कुछ भी बोल दो कोई इनका कुछ नही बिगाड़ सकता हे।
इसी के चलते ग्राम पंचायत के विकास कार्यो की आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ाया दिया जा रहा है ओर प्रशासनिक अधिकारी भी इनके सामने कुछ नही बोल सकते ओर कोई कार्यवाही नही कर रहे है ओर इनकी हरकते दिन पे दिन बढ़ती जा रही है जो की सभी हदे पार कर रही है। यहा तक की गाव के ग्रामीणों से हि पैसे लेकर उनके हक पर भी डाका डाला जा रहा है वो भी खुल्लेआम उसके बाद भी प्रशासन को कुछ दिखाई नहीं दे रहा सब आँखो वाले अंधे बन कर बैठे है ओर इनका हि सहयोग कर रहे है।
हम बात कर रहे है ग्राम पंचायत झकनावदा की जहा पर एक ग्रामीण पिछले 4 साल से इस पंचायत के नाम से परेशान हो रहा है। जबकी इसकी बात छोटी सी है। इस को दुकान पक्की करके देना थी लेकिन जोकि ग्राम पंचायत के समीप हि थी। साथ हि नुकड़ पर थी इससे यह कह कर वहा से हटाया गया की ग्राम पंचायत द्वारा कॉम्पलेक्स बना रही है तो साथ मे आपकी भी दुकान पक्की बना कर दी जाएगी तो आप हमे 2 लाख 5 हजार रुपये दे दो। तो ग्रामीण ने सोचा की मेरी भी पक्की दुकान हो जाएगी तो कही से ब्याज पर पैसा लेकर ग्राम पंचायत को दिये उसके बाद कॉम्पलेक्स बन गया। ओर अंदर ही अंदर दुकाने भी वितरण हो गई। ओर इसको तब पता चला की मेरी दुकान किसी ओर को दे दी। तब इसने ग्राम पंचायत के सचिव से बात की तो उनका कहना था की हम क्या करे तुमको लेना थी अब बोलो ऊपर वाले अधिकारियो को की मेरे साथ ऐसा हुआ है ओर ये जो कॉम्प्लेक्स बना है इसकी सरकारी नीलामी भी नही हुई है। हमारे हाथ मे कुछ नही है। शिकायत करदो ग्राम पंचायत के नाम से।
अब मामला सुरु हुआ ग्राम पंचायत से जनपद पंचायत फिर जनपद पंचायत से जिला पंचायत जिला पंचायत से जिला कलेक्टर तक आवेदन दे दे कर तक गया ओर सीधे हाई कोर्ट इंदौर मे इनके कारनामो के सारे सबूत लेकर पहुंच गया। कोर्ट ने सारे सबूत देखते हि जिला कलेक्टर को नोटिश दिया नोटिश के बाद आला अधिकारी ने फॉर्मेटी निभाना सुरु किया जिला कलेक्टर ने जिला पंचायत को जिला पंचायत ने जनपद पंचायत को ओर जनपद पंचायत ने ग्राम पंचायत को तो ग्राम पंचायत ने लिखित मे दे दिया की इसको दुकान तो दे रहे है लेकिन इनको अपनी मनमर्जी की दुकान चाहिए जो ग्राम पंचायत कहा से देगी ओर दूसरी दुकान इसको लेना नही है। फिर कोर्ट के द्वारा पूछा गया तो बोला की जो हुआ वो सब ठीक है पर मुझे दुकान तो दिलाओ तो फिर कोर्ट के द्वारा आदेश दिया गया की जिला कलेक्टर की उपस्थिति मे इसे दुकान दिलाई जाये। लेकिन उसके बाद भी जिला कलेक्टर ने जिला पंचायत को आदेश कर दिया ओर जिला पंचायत ने जनपद पंचायत को ओर जनपद पंचायत ने ग्राम पंचायत को तो ग्राम पंचायत द्वारा जो पैसा लिया गया था वो ग्रामीण के खाते मे एपिओ के माध्यम से वापस डाल दिये ओर ग्रामीण को नोटिश दे दिया की दुकानों की सरकारी नीलामी के हिसाब से आपको 15 दिवस मे 2 लाख 50 हजार रुपए देने होंगे। नही तो ग्राम पंचायत की दुकानों की नीलामी से आपको बहार किया जाएगा। तब पुनः ग्रामीण के द्वारा ग्राम पंचायत को 2 लाख 50 हजार रूपए दे दिये उसके बाद भी 4 से 5 माह बित गये। लेकिन आज दिनांक तक दुकान नही मिली। यहा तक की ग्राम पंचायत सचिव को जब भी दुकान की बात करो तो वो कहते है वो दुकान दूसरे को दे रखी है हा एक से दो दिन मे खाली करवा कर देते है। ओर ग्राम पंचायत समिति के सदस्य से बात करता हूं जबकी असलियत मे बात तो यह है की जिसकि दुकान खाली करवा कर देने की बात कर रहे है उससे भी ग्राम पंचायत ने पैसे ले कर दुकान दे रखी है तो वो दुकान खाली क्यो करेगा।
अब बोलते है की एक ओर कॉम्पलेक्स ग्राम पंचायत द्वारा बनाया जायेगा उसमे आपको दे देंगे या उसको दे देंगे जैसा भी है समिति के सदस्य से बात करते है।
अब बात आती है ग्राम पंचायत समिति के सदस्य की जो राज करहे है ग्राम पंचायत पर जो ग्राम पंचायत के सदस्य है उन्ही ने ये दुकान ली है ओर अब ग्राम पंचायत द्वारा समिति के सदस्य से हि दुकान खाली करवाने का बोल रही जो सचिव नही करा पा रहा है। ओर जब भी बात करो तो हा उनका कहना है की कर देंगे नही तो दूसरी दे देंग। ओर ग्राम पंचायत उपसरपंच ग्राम पंचायत समिति के सदस्य भी ओर भाजपा के मंडल अध्यक्ष भी ये अब तो ग्रामीणों का हक लेने के लिए पार्टी इनको पद दे रही है या ग्रामीणों का विकास करने के लिए।
देखते है भाजपा सरकार जो की गरीबो की सरकार कहती है क्या इस तरह से गरीबो की सरकार है जो उनके हि पदाधिकारी गरीबो का हक खा रहे है। इस बात पर भाजपा सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की केबिनेट मंत्री महिला बाल विकास निर्मला भूरिया एवं केबिनेट मंत्री नागरसिंग जी चौहान एवं सांसद श्रीमति अनिता नागरसिंह जी के द्वारा क्या मंडल अध्यक्ष को कहेगी की ग्रामीण की उसकी दुकान दी जाये या उनको इस कृत्य के लिए पार्टी से बहार करते है. फैसला भाजपा सरकार के नेताओं के हाथ मे है। क्योकि आपको बता दे की इनके कारनामें कांग्रेस के समय से चलते आ रहे है जब यह पेटलावद से विधायक प्रतिनिधि थे उसके बाद मे भाजपा की सरकार बनने से भाजपा मे सामिल होकर भाजपा को बदनाम कर भ्रष्टाचार कर भाजपा का नाम खराब कर रहे हे। मंडल अध्यक्ष के खिलाप पहले भी कई केश पुलिस विभाग मे दर्ज हो चुके है लेकिन पार्टी फिर भी क्यो सपोर्ट कर रही है। क्यो कार्यवाही नही करवा रही है। इसके पीछे की क्या मंशा है। यह तो वही जाने ओर क्यो इतना सपोर्ट किया जा है। ये मंडल अध्यक्ष दुकान पर कब्जा कर के बैठा है या पंचायत पर जानेगे अगले अंक मे बने रहे हमारे साथ।।।।।