कोरोनाकाल में उत्क्रष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों से जनता को हे कई उम्मीदें.... आमजन की समस्याओं के निपटारे से बदल सकती है जिले की तस्वीर.... अपने कामो के लिए तहसील ओर जिले के चक्कर काटने वाले लोग हो रहे परेशान, हो रही दलालो की पौबारह....



पेटलावद | मध्य प्रदेश में सरकार भले ही अपराध एवं भ्रष्टाचार मुक्त होने का दावा कर रही हो और सरकार के दावों के लिए कई प्रकार से अधिकारी और कर्मचारी काम करते हुए सोशल मीडिया पर दिखाई देते हैं और पोस्ट भी वायरल करते हैं| लेकिन इन दिनों जिला एवं तहसील में सरकार के इन दावों की पोल खुलती भी नजर आ रही है।

*रीढ़ की हड्डी राजस्व विभाग*

 लेकिन असल रूप में सबसे निचले तबके की जनता आज भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है शासन का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है |राजस्व विभाग राजस्व विभाग के माध्यम से सभी प्रकार के मामलों का निराकरण होता है

*सरकार का नियंत्रण नही*

 लेकिन ऐसा लग रहा है कि मध्यप्रदेश का आदिवासी अंचल का जिला झाबुआ एवं झाबुआ जिले की सबसे बड़ी तहसील पेटलावद में  सरकार का जिला और अनुभाग सहित राजस्व विभाग पर शायद  सरकार का नियंत्रण समाप्त हो गया  है या अधिकारियों को मनमानी करने की खुली छूट दे दी गई है।

*आईएएस के हाथों  में कमान*

 जी हां हम बात करें जिला एवं क्षेत्र के राजस्व विभाग जहां जिला के मुखिया के रूप में कलेक्टर सोमेश मिश्रा पिछले 11 माह से  और अनुभाग के  मुखिया के रूप में   ओर  शासन की ओर से आईएस अधिकारी शिशिर गेमावत    जैसे अधिकारी पिछले 16 माह से अधिक समय से पदस्थ हैं ।लेकिन जिस प्रकार से आईएएस अधिकारी से आमजन की कामकाज की  अपेक्षाएं थी शायद उन उम्मीदों  पर अब तक दोनों अधिकारी  पूर्ण रूप से खरे उतरते  दिखाई नही दे रहे है।

*रही दोनो की कई उपलब्धि*

हालांकि कोरोना काल मे  स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के प्रबंधन को लेकर दोनों ही अधिकारी प्रदेश स्तर पर तारीफ बटोर चुके हैं । वही नगर में 11 साल पुरानी समस्या मटन मार्केट को की शिफ्टिंग को लेकर एसडीएम शिशिर गेमावत की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है लेकिन इसके अलावा अन्य क्षेत्रों  इन अधिकारियों से जो आम जन को अपेक्षाएं थी उन  अपेक्षाओं पर अभी इन अधिकारियों को लेकर आमजन एवं चौराहों पर चर्चाओं का दौर गर्म है ।

*नही होति  कार्यवाही*

क्षेत्र की बात करें तो विभिन्न प्रकार की समस्याओं और शिकायतों का अंबार लगा हुआ है कई प्रकार के भ्रष्टाचार, और विवादों , जमीन विवादों, छत कीलीज,  नप के जनप्रतिनिधियों के  परिजनों के नाम से निकल रही सेलेरी, सरकारी भूमियो पर अतिक्रमण ओर उनकी रजिस्ट्री को लेकर लोगों के द्वारा प्रतिदिन शिकायतें, आवेदन और ज्ञापन  एसडीएम ओर कलेक्टर  को दिए जाते हैं लेकिन उन पर या  उन विभागों पर अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं होने से आम जनता का जिला  व  पेटलावद क्षेत्र के अधिकारियों से मोहभंग हो रहा है।

*विक्रय अनुमति  के लिए बार बार दौड़ती फाइल*

 वहीं राजस्व विभाग में जमीनों के विक्रय अनुमति एवं धारा 165 के आवेदन पत्रों के निराकरण सहित विभिन्न मामलों को लेकर आम जनता परेशान हो रही वहीं परिवर्तित भूमि के विक्रय की अनुमति को लेकर जिले से एसडीएम कार्यालय, तहसील कार्यालय और पटवारी तक कम से कम दो से तीन बार फाइलों के आने-जाने और अंतिम स्वरूप में निराकरण नहीं होने से न तो आम लोगों को परिवर्तित स्वरूप की भूमि की बिक्री की अनुमति मिलने और लेने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं पूरे मामले में दलालों के माध्यम से बड़े भ्रष्टाचार की भी अंदरूनी खबरें आ रही हैं इस पूरे मामले में न सिर्फ पेटलावद  बल्कि जिला स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों के मध्यस्थ के दलालों की सक्रियता की भूमिका से भी लोगों के द्वारा इनकार नहीं किया जा रहा है ।

*डायवर्सन के लिए  भी जद्दोजहद*

वहीं क्षेत्र के रहवासियों को दूसरी बड़ी समस्या डायवर्शन के आवेदन पत्रों के निराकरण को लेकर भी आ रही है कई लोगों के द्वारा लगातार डायवर्शन के लिए एसडीएम  सहित जिला कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा लगा कर परेशान होकर अपने रजिस्ट्री करवाई जाने की उम्मीदों पर  पानी फिरता भी नजर आ रहा है।

*हो सकता है कायाकल्प*

 खैर दोनो आईएएस अधिकारीयो को भी यह समझना होगा कि क्षेत्र की जनता को उनसे काफी उम्मीदें है और यदि आप ठान ले तो इस जिले व क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है।


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