पेटलावद- श्रंगेश्वर धाम पर 108 श्री काशी गिरी महाराज 21 वी पुण्यतिथि पर विभिन्न आयोजन होंगे दो दिवसीय होने वाले इस कार्यक्रम में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु श्रंगेश्वर धाम पहुंचकर गुरु मंदिर पर मथा टेकेगे यहां आने वाले श्रद्धालु गुरु समाधि, भगवान महाकाल मंदिर, माही माता मंदिर, मोक्षदायिनी माही माता के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करेंगे यह स्थान इस क्षेत्र का एक प्रसिद्ध स्थान है 1008 श्री काशी गिरी महाराज के अनुयाई दूर-दूर तक बसे हैं उनकी याद में वर्ष में एक बार पुण्यतिथि मनाने यहां आते हैं आसपास के राजस्थान गुजरात के श्रद्धालु यहां कर कार्यक्रम का आनंद उठाते हैं श्रंगेश्वर धाम माहि नदी के तट पर स्थित होने के कारण कई महत्व समेटे हुए हैं पिछले समय यहां पर 108 कुंडी महायज्ञ होने के कारण इस स्थान की महत्ता और अधिक बढ़ गई श्रृद्धाओं का आना-जाना अधिक संख्या में यहां होता है तथा यहां पर श्रावण सोमवार महाशिवरात्रि बेसाखी की पूर्णिमा पर विभिन्न आयोजन किया जाता है इस स्थान के गच्छाधीपति श्री रामेश्वर गिरी महाराज द्वारा स्थान को रमणीक स्थान बना दिया है यहां पर श्रद्धालु आए दिन नौका विहार करते हैं भजन कीर्तन एवं हवन का दौर चलता रहता है सामान्य लोगों के दर्शन से लेकर उच्च स्तर के अधिकारी भी यहां मथा टेकने आते हैं और गुरु महाराज के आशीर्वाद लेते हैं माही तट पर स्थित श्रंगेश्वर धाम आदिवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना गया है स्थान इसकी महत्ता के बारे में पुराणों में लिखा गया है तथा श्रृंगी ऋषि के नाम से जाना जाता है कालांतर में श्रृंगी ऋषि के नाम से यह स्थान श्रंगेश्वर धाम पड़ा है इस स्थान के बारे में कई प्रकार की रोचक कहानी जुड़ी हुई है पुराणो में वर्णित की गई है इस स्थान के महत्व को काशी गिरी महाराज ने अपने स्वयं के तपोबल के द्वारा चैतन्य स्थान बनाया है इस स्थान पर किसी भी प्रकार की ली गई मन्नत पूरी होती है इस स्थान पर माही तट एवं मधु कन्या नदी के संगम स्थल पर आज भी हड्डियां विसर्जित करने का मुख्य स्थान है तथा इस क्षेत्र के समस्त वर्ग के लोगों की हड्डियां विसर्जित की जाती है तथा वेदोक्त विधि द्वारा यहां पर हड्डिया संगम स्थल में गल जाती है ऐसा माना जाता है की हड्डियां पानी में गलन से अपने पितरों को मोक्ष गति प्राप्त होती है ऐसा माना जाता है काशी गिरी महाराज यहां रहकर वर्षों तक घोर तपस्या कर यह स्थान आज अद्भुत स्थान बन गया है इस स्थान के नाम से भारतवर्ष में रहने वाले कई श्रद्धालु स्थान के महत्व को जानते हैं आज यह स्थान रमणीक स्थान बन गया है इस स्थान पर आए दिन पिकनिक मनाने यहां लोग आते हैं इस स्थान की कुछ दूरी पर माही डैम के बनने से यहां हमेशा 12 ही महीने अपार पानी भरा रहता है तथा माही माता में स्टीमर नाव के माध्यम से लोग यहां आनंद का अनुभव प्राप्त करते हैं तथा विशेष पर्व पर पूजन पाठ का दौर चलता है इस स्थान पर देश प्रदेश की विभिन्न प्रकार के धर्माचायो तपस्वी संतों ने इस स्थान पर रहकर पूजन अर्चना की है स्थान के गच्छाधिपति श्री रामेश्वर गिरी महाराज ने बताया कि ब्रह्मलीन 1008 श्री काशी गिरी महाराज की पुण्यतिथि पर विभिन्न राज्य जिले से उनके अनुयाई यहां आते हैं और भव्य तरीके से पुण्यतिथि प्रतिवर्ष मनाई जाती है यह पुण्यतिथि 21वी पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाएगी यहां पर एक दिन पहले से ही श्रद्धालु यहां आकर रात्रि विश्राम कर भजन और कीर्तन हवन का कार्यक्रम चलता है तथा यहां एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है मंगलवार को प्रातः से ही गणेश पूजन स्थापना एवं पूर्णाहुति महा आरती दोपहर 12:15 बजे पश्चात महाप्रसादी 1:00 बजे कार्यक्रम संपन्न होगा
फोटो-1-श्रंगेश्वर धाम में विराजीत ब्रह्मलीन 1000 श्री काशी गिरी महाराज की समाधि
-2- भगवान भोलेनाथ के मंदिर में होगा जलाभिषेक