शिव पुराण धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष चारो पुरूषार्थ प्रदान करता है। ... शोभायात्रा के रूप में कथा पौथी को मंदिर तक लाये। ...



 पेटलावद।  शिव पुराण कलियुग में मनुष्यों के हित का परम साधन हैै। यह मनोवांछित फल को देने वाला है। शिव पुराण में चौबीस हजार श्लोक है। जिसमें सात संहिताएं है। शिव पुराण परब्रम्ह परमात्मा के सामन गति प्रदान करने वाला है। शिव पुराण में भगवान शिव का सर्वस्व है। यह निर्मल शिव पुराण धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष चारो पुरूषार्थ को देने वाला है। शिव पुराण कथा के प्रथम दिन कथा के महत्व को बताते हुए पुराणवाचक विद्वावान पं. प्रफुल्ल शुक्ला ने उक्त बात कहीं।

नगर के निलकंठेश्वर महादेव मंदिर पर पुरातन समय से चली आ रही शिवपुराण कथा प्रारंभ हुई कथा के प्रथम दिवस श्रद्वालु भक्तगण शिवपुराण कथा पौथी व पुराणवक्ता को ढोल ढमाकों के साथ शोभायात्रा के रूप में उनके निवास से मंदिर प्रांगण तक लाये। जहां पर भक्तों ने पुराणवाचक व पौथी की पूजन अर्चना की। इसके साथ ही प्रथम दिवस की कथा का श्रवण भी किया। जिसमें कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कथा को सुनने की विधि और किये जाने वाले आचरण पर प्रकाश डाला गया।

कथा के शुभारंभ पर आरती का आयोजन किया गया और महाप्रसादी का वितरण किया गया। कथा 15 दिनों तक चलेगे। प्रतिदिन सुबह 11 बजे से प्रारंभ हो कर शाम 5 बजे तक कथा का वाचन किया जायेगा।

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