सफलता की कहानी छोटे सपनों से बड़ी उड़ान प्रिंटिंग प्रेस चलाकर बनीं ममता कतीजा सफलता की मिसाल...

 




थांदला से इमरान खान की रिपोर्ट 



थांदला - आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करती झाबुआ जिले के थांदला की शिक्षित महिला श्रीमती ममता कतीजा पति  संजय कतीजा ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि इच्छाशक्ति दृढ़ हो और मार्गदर्शन सही मिले, तो सफलता स्वयं कदम चूमती है जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र में पली-बढ़ी श्रीमती ममता कतीजा शिक्षित तो थीं, परंतु रोजगार के सीमित अवसरों के कारण वे बेरोजगार थीं। उन्होंने अपने आस-पास देखा कि स्थानीय स्तर पर विवाह, कार्यक्रमों, संस्थागत कार्यों और शासकीय गतिविधियों के लिए प्रिंटिंग प्रेस की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं। इस कमी को अवसर में बदलते हुए उन्होंने स्वयं की प्रिंटिंग प्रेस इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया अपने इस विचार को साकार करने के लिए उन्होंने मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम, जिला कार्यालय झाबुआ का रुख किया। निगम कार्यालय में उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उनकी योजना को गंभीरता से सुना और उन्हें भगवान बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ऋण सुविधा प्राप्त करने का सुझाव दिया। विभाग के सहयोग से उनका ₹5.00 लाख का ऋण प्रकरण तैयार कर बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा देवीगढ़, जिला झाबुआ को प्रेषित किया गया बैंक से ऋण स्वीकृत होने के बाद श्रीमती कतीजा ने अपने सपनों की इकाई की नींव रखी। धीरे-धीरे उन्होंने आधुनिक उपकरणों की सहायता से अपनी प्रिंटिंग प्रेस को विकसित किया और अपने क्षेत्र के आवश्यक प्रिंटिंग सामग्री तैयार करना प्रारंभ किया आज उनकी प्रिंटिंग प्रेस न केवल स्थानीय स्तर पर आवश्यकताओं की पूर्ति कर रही है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बना चुकी है। श्रीमती ममता कतीजा प्रतिमाह ₹30,000 से ₹35,000 तक की आमदनी अर्जित कर रही हैं, जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण सुचारू रूप से कर रही हैं उनकी सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि स्वरोजगार के माध्यम से महिलाएँ भी न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि समाज में अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकती हैं। आज श्रीमती कतीजा अन्य बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम, झाबुआ ने उनके इस प्रयास की सराहना करते हुए भविष्य में भी हर संभव सहयोग एवं मार्गदर्शन देने का आश्वासन दिया है। निगम ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि ममता कतीजा जैसी महिलाओं की प्रेरक कहानियाँ ही समाज को सशक्त, आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बनाने की दिशा में सच्चा उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.