News@ हरीश राठोड
पेटलावद। प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में करप्शन कि समाप्ति ओर सुशासन के जीरो टोल रेन्स पर सरकार काम करने का दावा भर रही है। वही को महिलाओं को सशक्त ओर आत्मनिर्भर बनाने सहीत सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को 1500 रुपये देकर महिला-सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी घोषणाएँ कर रही है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी शासित पेटलावद नगर परिषद क्षेत्र में एक विधवा महिला पिछले तीन वर्षों से न्याय और नामांतरण की साधारण प्रक्रिया के लिए दर-दर भटक रही है।
नामान्तरण के लिये 2020 से भटक रही महिला.....
दरअसल नगर के भगतसिंह मार्ग की रहने वाली सीनियर सिटीजन ओर विधवा महिला मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में पहुचीं ओर रो रो कर अपनी व्यथा आवेदन के माध्य्म से देते हुए बताया कि उनकी पति धनराज चौधरी के निधन उपरांत उनके द्वारा वार्ड 06 में स्थित भवन 110/3 पर 29 अगस्त 2020 में विधिवत नामांतरण का आवेदन देते हुए राशिद कटवायी ।
कोर्ट से मिल गया 2023 में आदेश
नियमानुसार परिषद को 03 माह के अंदर नामांतरण आवेदन का निराकरण करना होता हे, लेकिन करप्शन कि गंगा में गोते लगा रहे युवा जनप्रतिनिधियों ने 02 साल तक नामान्तरण आवेदन का निराकरण नहीं करते हुये 01/09/22 को पीड़िता को कोर्ट जाने का पत्र थमा दिया। पीड़िता के द्वारा उसके पक्ष में सिविल कोर्ट पेटलावद के दिनांक 25/04/23 के निर्णय की प्रतिलिपि के साथ 05/08/25 को स्टाम्प पर शपथ पत्र देकर कोर्ट के आदेश के पालन में नामान्तरण कि गुहार परिषद में लगाई। और तब से अभी तक परिषद के जिम्मेदार नामान्तरण नही कर पाए ।
अध्य्क्ष,पति और पार्षदो के नामजद दिया आवेदन
पीड़िता मुनिबाई के द्वारा परिषद के अध्य्क्ष पति योगेश गामड़ सहित परिषद की अध्य्क्ष ललिता पति योगेश गामड़,चांदनी पति दीपक निमजा,मुकेश पिता गंगाराम परमार,कांताबाई पति श्यामु मैड़ा,दिनेश उर्फ पप्पू पडियार,गोतम पिता धन्नालाल गेहलोत,अनुपम पिता सुरेश भंडारी ,ममता पिता विट्ठल धानक,विनोद पिता शांतिलाल चाणोदिया,किरण पति संजय कहार,रेखा पति प्रदीप पटवा
,जमना पति भुरा मुणिया,हंसा पति शिवा राठौड़,चंदाबाई पति राजू मेड़ा,इन्द्रा पति मुकेश पडियार के विरिद्ध नामजद आवेदन कलेक्टर को सोपते हुए बताया कि इनमें से किसी भी पार्षद ने मेरी पीड़ा सुनने की जरूरत नहीं समझी। सब अध्यक्ष पति की लाइन पर चलते हैं, किसी ने भी इंसाफ दिलाने की कोशिश नहीं की। वही अध्य्क्ष पति योगेश गामड़ के दबाव के चलते नामान्तरण नही होने दिया जा रहा ।
क्या कोर्ट से बडी है परिषद या नेताओ का निजी स्वार्थ आ रहा आड़े?
इस पूरे मामले में बडा सवाल निकल कर आ रहा है कि परिषद के जिम्मेदार युवाओं जनप्रतिनिधियों कि टिंम कोर्ट द्वारा वर्ष 2023 को दिए गए आदेश से भी ऊपर है? क्यो कोर्ट के निर्णय का भी पालन नहीं कर रही परिषद ? क्या नगर परिषद अधिनियम के तहत सारे नियम कायदों को ताक पर रख दिया है?या परिषद को चलाने वाले बिना लेनदेन के किसी भी काम को करना नही चाहते ।
परिषद के पास कोई ठोस वजह नही जो रोके नामान्तरण,पीड़िता के दस्तावेज दे रहे पुख्ता प्रमाण
उल्लेखनीय है कि इस पुरे मामले में वर्ष 2020 से 2022 तक के दो वर्षों ओर कोर्ट के निर्णय के बाद 2023 से अब 2025 तक नप नामान्तरण करने से क्यो परहेज कर रही है , जबकि नियमानुसार सारी प्रक्रिया पूर्ण है और पीड़िता के पक्ष में कोर्ट के आदेश ओर सारे कागजात है । इन वर्षो में ऐसा कोई ठोस कागज परिषद के पास नही है जो पीड़िता के नामान्तरण को रोकने की वजह हो।
प्रशाशन से उम्मीद*
लगातार विवादों से घिरी परिषद नगर विकास के कार्यो में नाकारा साबित पहले ही हो चुकी है, अब सारे पार्षद ओर अध्य्क्ष सहित अध्य्क्ष पति के कारनामों कि नामजद शिकायत करने वाली महिला की मजबूरियों पर कोई कार्यवाही जिला कलेक्टर प्रशाशन, व अधिकारी करते है या नही यह तो आने वाले समय मे पता चलेगा।
फेलियर परिषद के निजी स्वार्थ भाजपा के गिरा रहे जनाधार
लेकिन इतना साफ की भाजपा की परिषद के उजले कारनामों से पार्टी की बढ़ी किरकिरी हो रही है,वही भाजपा का गढ़ मने जाने वाले पेटलावद नगर कि जनता के सामने आनेवाले चुनावो में पार्टी किस मुह से वोट मांगने जाएगी ।लगातार जनता के बीच नप पेटलावद के विरुद्ध जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है ।
इनका है कहना
मेरे पति के मकान पर नामान्तरण के लिये 2020 से चक्कर लगवा रही परिषद मेने सारे कागज कोर्ट का आदेश भी दे दिया। कलेक्टर मेडम से ही उम्मीद है ।
.....पीड़िता मुन्नीबाई चौधरी
अध्य्क्ष पति योगेश गामड़ सभी पार्षदो को देने के लिये पैसे की मांग कर रहे ,है पैसे नही दोगे तो नामान्तरण नही करूंगा
....अतुल चौधरी पीड़िता का पुत्र


.jpeg)
.jpeg)
