सचिव ने मिलीभगत कर शासन को पहुंचाई हजारों रुपए की क्षति फर्जी बिल लगाकर पंचायत सचिव ने निकाले 40 हजार रुपए.....

 




फ़ोटो.बिल लगाने की जगह पर ब्लर पेपर लगा दिया गया


थांदला से इमरान खान की रिपोर्ट 



थांदला - शासन चाहे फर्जीवाड़ा रोकने के लिए चाहे जितने भी जतन कर ले, लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी ही शासन की मंशा को धत्ता बताते हुए आर्थिक क्षति पहुंचाएंगे, तो इसकी पारदर्शिता का आंकलन सही कर पाना मुश्किल होगा। बात करें हम थांदला जनपद पंचायत के तहत आनेे वाली ग्राम पंचायत नौगांवा नगला की, जहां पर निर्माण कार्यों में सप्लाई के नाम पर फर्जी बिल लगाकर शासन को हजारों रुपए की क्षति पंचायत सचिव ने लगाकर 40,000/-चालीस हजार रुपए नियम विरुद्ध निकाल लिए। मध्यप्रदेश शासन पंचायत दर्पण मोबाइल एप पर शासन को गुमराह करते हुए पंचायत सचिव ने दिनांक 14.11.2025 आईडी नंबर 16819355 पर अजय जैन के नाम से एक बिल अपलोड किया। ताज्जुब की बात यह है कि उक्त बिल पूरा ब्लेंक होकर धुंधला दर्शाया गया है बिल में कुछ भी साफ नहीं है, उसके बावजूद भी 40,000/-चालीस हजार रुपए निकाल लिए। गौरतलब है कि शातिर पंचायत सचिव द्वारा पूर्व में भी कई बिल आधे-अधूरे व फर्जी नियम विरुद्ध बिल अपलोड कर अपनी मनमुताबिक राशि आहरित कर मप्र शासन द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए प्रारंभ की गई मप्र शासन पंचायत दर्पण मोबाइल एप की खुलेआम धज्जियां उड़ा दी गई। जब इस तरह का फर्जीवाड़ा खुलेआम शासन के ही कर्मचारी मप्र शासन के एप पर फर्जी बिल अपलोड कर शासन को हजारों रुपए का चूना लगा रहे हैं। इस तरह का फर्जीवाड़ा पंचायत सचिव ने पहली बार अंजाम नहीं दिया है, बल्कि पंचायत दर्पण मोबाइल एप को खंगाला जाए  त्रुटिपूर्वक अपलोड किए गए फर्जी बिलों की भरमार नजर आएगी। तो क्या जिम्मेदार आला अफसर का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। या फिर वे भी इस तरह के गौरख धंधे में लिप्त है, जांच का विषय है। इस संबंध में जब जनपद पंचायत थांदला के मुख्य कार्यपालन अधिकारी देवेंद्र बराडिया से बात की गई, तो उनका कहना था कि मामला संज्ञान में है, आप लिखित में आवेदन दो तो हम संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे। जबकि जवाबदारी अधिकारियों का कर्तव्य है कि वह इस तरह के मामले को अपने स्तर पर जांच कर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई करें, लेकिन अधिकारी स्वयं ही अपने मताहत कर्मचारियों को बचाने के लिए आवेदन की मांग कर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि यहां दाल में कुछ काला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है।


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