अक्षय तृतीया दीक्षा व पारणा महोत्सव संपन्न.. ललित बने ललित मुनि तो नव्या बहन यशस्वी महासती...

 


थांदला से इमरान खान की रिपोर्ट 

थांदला। जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी म.सा. "अणु" के दिव्याशीष से पूज्य श्री धर्मदास सम्प्रदाय का आंगन महक रहा है। आज का दिन थांदला नगर के लिए स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया जब पूज्य श्री धर्मदास सम्प्रदाय के प्रवर्तक बुद्धपुत्र पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. के निश्रा में 26 सन्तों व पूज्य मधुबालाजी, संयमप्रभाजी, पुण्यशीलाजी आदि 34 महासतियों इस तरह कुल 60 संत-सतियों के महा समूह की मौजूदगी में अक्षय तृतीया दीक्षा एवं पारणा महोत्सव सानन्द सम्पन्न हुआ।


प्रवर्तक श्रीजिनेन्द्रमुनिजी ने दीक्षा प्रदान की नवदीक्षित का नामकरण


थांदला नगर के ही प्रतिष्ठित परिवार श्रीमती तारादेवी सुंदरलालजी भंसाली के पुत्र श्रीसंघ अध्यक्ष भरत, समाजसेवी अनिल के भाई मुमुक्षु ललित भंसाली व सुजानमलजी शाहजी की पौत्री श्रीमती रीना मनीष शाहजी की पुत्री मुमुक्षु नव्या शाहजी की महानिष्क्रमण यात्रा सपरिवार इष्ट मित्रों संग उनके निवास से निकली जो दीक्षार्थी के जयकारों के साथ आयोजन स्थल अणु पब्लिक स्कूल पहुँची जहाँ प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी ने दोनों मुमुक्षु आत्माओं को गण, संघ व परिजन की आज्ञा से हजारों श्रावक श्राविकाओं की मौजूदगी में दीक्षा पाठ पढ़ाते हुए उनका नया नामकरण किया। आज से मुमुक्षु ललित ललितमुनिजी व मुमुक्षु नव्या यशस्वी महासती के रूप में पहचानी जाएगी। इस अवसर पर विशाल धर्मसभा व नव दीक्षित रत्नाधिक को सम्बोधित करते हुए पूज्य गुरुदेव ने उन्हें संयम का महत्व समझाया व परिवार द्वारा समर्पित रजोहरण व पात्र प्रदान करते हुए उन्हें संयमी वेश व संयमी उपकरण का महत्व बताते हुए कहा कि कर्म रूपी रज को हरने के लिए रजोहरण का उपयोग करें व संयम जीवन यात्रा के लिए शरीर टिकाने के लिए पात्र आवश्यक है जिनसे  अपनी आराधना निर्मल बनाये। पूज्य श्री ने ललितमुनि को महान सेवाभावी संत अतिशयमुनिजी का शिष्य घोषित किया वही यशस्वी सती को शासन प्रभाविका पूज्या श्री संयमप्रभा जी की शिष्या घोषित की। ललितमुनि के संत मण्डल में व यशस्वी सती के सती मण्डल में प्रवेश पर संत-सतियों ने मंगल स्वागत गीत गाकर दोनों का संयम स्वागत किया। इस अवसर पर दोनों मुमुक्षु आत्माओं ने दीक्षा के पूर्व अपने उद्बोधन से सभी को वैराग्य आने से लेकर संयम जीवन में प्रवेश के लिए अपने पर उपकार करने वालें सभी आत्माओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सांसारिक कार्यों में हुई गलतियों की क्षमा याचना कर आत्मशुद्धि की व आने वालें संयमी जीवन में मोक्ष लक्ष्य के लिए मंगल आशीर्वाद मांगा।


6 मई को बड़ी दीक्षा कल्याणपुरा में चातुर्मास की भी हुई घोषणा


प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी ने दोनों नवदीक्षित आत्मन की बड़ी दीक्षा के लिए झाबुआ, मेघनगर आदि अन्य संघों की विनंती में आगामी 6 मई 2025 को कल्याणपुरा संघ की विनंती स्वीकृति प्रदान की। इसी तरह कुछ लंबित वर्षावास की घोषणा करते हुए पूज्य श्री ने महासती प्रवीणाजी महासती आदि ठाणा का ओरंगाबाद, पूज्या श्री मुक्तिप्रभाजी आदि ठाणा का मेघनगर, तपस्वी पूज्या श्री प्रेमलताजी आदि ठाणा का लिमड़ी व पूज्या श्री प्रज्ञाजी महासती आदि ठाणा का वर्षावास समस्त आगारों के साथ झाबुआ घोषित किया। उनकी घोषणा से सकल संघ में हर्ष-हर्ष की ध्वनि घोषित होकर गुरुवर के जयकारों से सदन गुंजायमान हो गया।

इस अवसर पर तत्वज्ञ पूज्य श्री धर्मेन्द्रमुनिजी, पूज्या श्री निखिलशीलाजी आदि ने भी नव दीक्षित व तपस्वियों सह सभी गुरुभक्तों को मंगलकारी जिनवाणी फ़रमाई व सन्तों में भी सेवा को तपस्या की तरह करने वालें सन्तों की प्रसंशा की। संघ कि ओर से व पूज्य श्री धर्मदास गण की ओर से अध्यक्ष भरत भंसाली ने सभी आयोजन में गुरुकृपा के लिए आभार मानते हुए बाहर से पधारें हुए तपस्वियों, संत परिवारों के साथ हजारों गुरुभक्तों  के आत्मीय स्वागत वंदन अभिनन्दन करते हुए उनका सम्मान किया। 

334 पारणों से तीन पांडालों में रही तपस्वी की महक..

थांदला संघ के तत्वाधान में स्वर्गीय शांताबाई सुरेन्द्रकुमार तलेरा परिवार के राकेश व प्रफुल्ल तलेरा द्वारा सकल आयोजन का लाभ लिया गया जिसमें सर्वाधिक 334 पारणों के लिए तीन विशाल डूम बनाये गए जहाँ तपस्वियों ने परिजनों व विशाल तप अनुमोदना के मध्य अपने वार्षिक तप का पारणा किया। प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी ने सभी तपस्वियों के निर्मल तप शुद्धि के लिए आलोचना फ़रमाई व पारणा सम्बंधी आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। संचालन संघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया उक्त जानकारी संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने दी।


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