12 सितम्बर को पेटलावद में मुख्यमंत्री मोहन यादव के आने पर जनता, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों को कई अपेक्षा। प्रशासनीक अमला हावी, कार्यकर्ता निराश, आमजन से दुर्व्यवहार और जनप्रतिनिधि उपेक्षा का शिकार क्या मुख्यमंत्री जी का दौरा कार्यकर्ताओं में उर्जा, आमजन को सुव्यवहार व जनप्रतिनिधियों को सम्मान दिला पायेगा? ब्लास्ट की 10 वीं बरसी होने पर मृतकों के परिजनों व क्षेत्र को कई अपेक्षा। क्षेत्र के विकास की कई घोषणाएं आज भी अधूरी।



News@ हरीश राठोड 

 पेटलावद में 12 सितम्बर को मुख्यमंत्री मोहन यादव  आ रहे है। जिसे लेकर नगर सहित क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मोहन यादव पेटलावद में आ रहे है। 12 सितम्बर पेटलावद नगर के लिए आज से 10 वर्ष पूर्व एक हादसे के कारण न भूलने वाली तारिख बन चुकी है। वर्ष 2015 में 12 सितम्बर को पेटलावद में ब्लास्ट हुआ था जिसमें 78 लोगों की मृत्यु हुई थी। जिसके बाद आज तक पेटलावद में कई घोषणाएं हुई और वह घोषणाएं केवल घोषणा बन कर रह गई। जिसकी पूर्ती कोई नहीं कर पाया है। आज एक बार पुनः नगरवासियों सहित क्षेत्र वासियों को मुख्यमंत्री के आगमन से कुछ आशाएं जागी है। कि पेटलावद क्षेत्र के वास्तविक विकास के लिए मुख्यमंत्री कुछ ऐसी यादगारे दे कर जायेगें जिससे नगर सहित क्षेत्र हमेशा उन्हें याद करेगा।


 क्या चाहिए पेटलावद को। ....


मुख्यमंत्री जी के आगमन से पेटलावद नगर की मुख्य समस्याएं एक बार पुनः उबर कर सामने आने लगी है। जिसमे मुख्य समस्या सुव्यवस्थित बस स्टेंड,जिसके लिए नागरिकों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से मांग की है और जनप्रतिनिधियों ने अनेको बार आश्वासन दिया किंतु आज तक बस स्टेंड के नाम पर पेटलावद को कुछ भी नहीं मिला। वहीं दूसरी समस्या नगर के नागरिकों को आज तक एक भी सुव्यवस्थित बालोद्यान या बगीचा नहीं मिल पा रहा है। जिस कारण से नगर के नागरिक अपने आप को ठगा सा महसूस करते है। हर बार इस समस्या पर भी कोई हल नहीं निकला। आज से 24 वर्ष पूर्व 40 लाख रूपये बगीचे निर्माण के लिए आये थे किंतु उनका उपयोग नहीं हो पाया।और वह राशि पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ गई।  

इसके साथ ही ब्लास्ट के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्लास्ट में मृत व्यक्तियों की याद में एक स्मारक बनाने की घोषणा की गई थी। किंतु दस वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक कोई स्मारक नहीं बना।वहीं आडिटोरियम, खेल मैदान, पंपावती नदी का गहरीकरण और साज सज्जा सहित अन्य कई समस्याओं से नगर जूझ रहा है।  


 क्षेत्र को भी अपेक्षा। ...


नगर के साथ क्षेत्र को भी मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर कई अपेक्षाएं है। क्षेत्र में कई ऐसे मार्ग है जिनका निर्माण आवश्यक है उनकी पूर्ती हो और इसके साथ ही कई सिंचाई के बडे तालाब और परियोजना के लिए भी क्षेत्रवासियों की हमेशा मांग रही है। क्षेत्र के धार्मिक स्थल श्रगेश्वर धाम को लेकर भी आमजन की मांग है कि इसका विस्तार कर इस स्थान को एक सुव्यवस्थित तीर्थ स्थान के रूप में विकसीत किया जाये। ताकी यहां आने वाले हजारों श्रद्वालुओं का इसका लाभ मिले। इसके साथ ही कृषि आधारित मुख्य व्यवसाय होने से कृषि क्षेत्र में बडी घोषणाओं की उम्मीद क्षेत्र रखता है।वहीं कृषि महाविद्यालय की सौगात शायद पेटलावद को मिल सके। यह आशा भी कई बार जागी किंतु पूरी नहीं हो पाई।


 प्रशासन में हो कसावट। ...


पेटलावद क्षेत्र का आम नागरिक ही नहीं जनप्रतिनिधि हो या सत्तारूढ दल का कार्यकर्ता हो वह प्रशासन में कसावट चाहता है। नौकरशाही की बढती दादागीरी से हर कोई परेशान है। पेटलावद ही नहीं वरन पूरे जिले में प्रशासनिक अधिकारी नेताओं की भूमिका में नजर आ रहे है। उनके साथ कोई प्रश्न न उठाए यदि प्रश्न उठाता है तो वे उसके साथ दुर्व्यवहार और अपने पद का दूर उपयोग करते हुए कार्यवाही का डर दिखाते है। वहीं प्रशासनीक अमले में बैठै अधिकारी से आमजन संवाद ही नहीं कर पा रहा है। क्योंकी उनके बात करने का रवैया ठीक नहीं है बातों में धमकी देना और आमजन को परेशान करना उनका उद्ेश्य बन चुका है। झाबुआ जिले में अंधेर नगरी चौपट राजा की स्थिति बनी हुई है। इसका खामीयाजा भाजपा को ही आने वाले चुनावों में भुगतना होगा। मुख्यमंत्री जी के पेटलावद क्षेत्र में आगमन पर आमजनता उनसे यह भी आशा रखती है कि वे केवल प्रशासनीक अधिकारीयों द्वारा की गई चाक चौबंद व्यवस्था में ही सिमट कर नहीं रह जाये वरन आमजन, कार्यकर्ता और छोटे जनप्रतिनिधियों की वास्तविक समस्या को भी सुने, देख और उनका हल करें।  


मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियां पूरी जोर शोर से चल रही है। आज दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री एक बडी सभा को संबोधित करेगें और लाडली बहनों के खातों में राशि का अंतरण भी करेगें।

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