नवरात्र के जवारे समृद्वि के प्रतिक के साथ स्वस्थ्य वर्ष का आर्शीवाद है।.... नौ दिवसीय माता की आराधना करते हुए अंतिम दिन रात्री जागरण कर जवारों का विसर्जन किया।....

 




 *पेटलावद।* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नौ दिनों तक नवरात्र में जो जवारे लगाये जाते है। वह समृद्वी का प्रतिक होते है। जिन्हें माता के भक्त शुभ मानते है और माता का आर्शीवाद माना जाता है। उन जवारों को अंतिम दिन विसर्जन के पूर्व भक्तों के उपर से उतारा जाता है ताकी उन्हें वर्ष भर किसी प्रकार की कोई बीमारी परेशान नहीं करे और घर परिवार में सब स्वस्थ्य रहे।

इसी क्रम में नगर सहित अन्य स्थानों से जवारों का विसर्जन करने के लिए मां भद्रकाली माताजी मंदिर पर ले जाया गया। जहां पर भक्तों ने पहले तो जवारों की पूजा अर्चना की और समृद्वी के प्रतिक के रूप में अपने पास भी रखा। वहीं जवारों का विसर्जन कर नवरात्र का उत्सव धूम धाम से मनाया। इसके पूर्व पूरी रात माता की आराधना और इष्ट शक्तियों का आगमन और गरबा खेलते हुए पूरी रात जागरण कर निकाला।


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