पेटलावद में सादगी और श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई ईद-उल-मिलादुन्नबी… प्रशासन व पुलिस बल रहे मुस्तैद, समाजजनों ने किया अमन-शांति की दुआ…

 



News@ हरिश राठौड़

पेटलावद। इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्मदिन ईद-उल-मिलादुन्नबी का पर्व शुक्रवार को नगर में पूरे सादगीपूर्ण और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर समाज के लोगों ने नबी के जीवन से प्रेरणा लेने और उनके संदेशों पर अमल करने का संकल्प लिया।

*सुबह जुलूस, बच्चों के कार्यक्रम और अमन की दुआ:*

शुक्रवार सुबह बड़ी संख्या में समाजजन नगर के विभिन्न इलाकों से जुलूस के रूप में शामिल हुए। यह जुलूस हुसैनी चौक पर पहुंचा, जहां धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। बच्चों ने नातेपाक प्रस्तुत कर माहौल को खुशनुमा बनाया। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुजुर्गों ने लोगों को एकता, भाईचारे और शांति का पाठ पढ़ाया। इसके बाद देश और दुनिया में अमन-चैन की दुआ की गई। सदर जावेद लोधी बधाई दी

*प्रशासन रहा चौकसी पर:*

त्योहार के दौरान नगर में शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु प्रशासन भी पूरी तरह सक्रिय रहा। टी आई निर्भयसिंह भूरिया, तहसीलदार अनिल बघेल, पटवारी रामचंद्र बाबर एवं पटवारी यश रामावत सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल शहरभर में तैनात रहा। अधिकारियों ने जगह-जगह भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया और सुनिश्चित किया कि पर्व शांति और सौहार्द के वातावरण में संपन्न हो।

*क्यों मनाई जाती है यह ईद?*

माना जाता है कि इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ था। इस दिन को पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय बड़े अदब व मोहब्बत के साथ “ईद-उल-मिलादुन्नबी” के रूप में मनाता है।

*तीन तरह की मनायी जाती है ईद:*

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, साल में तीन तरह से ईद मनायी जाती है। पहली ईद रमजान के समाप्ति पर आती है। इसके बाद बकरीद और फिर ईद- मिलानदुन्नबी आती है। इसी दिन इस्लाम धर्म के आखरी नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम साहब का जन्म हुआ था। इस्लाम में बेहद महत्वपूर्ण यह दिन इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता हे


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